हर साल
सितंबर का महिना शुरु होते ही-’सरकारी-विभागों’ में राजभाषा ’हिंदी’के लिए हल-चल शुरु हो जाती हॆ.जो विभाग वाकई सारे साल हिंदी
में अधिकतर काम करते हॆं-उन्हें ’हिंदी-दिवस’ या ’हिंदी’पखवाडा’आने पर चिंता नहीं होती,लेकिन जो सारे साल अंग्रेजी का गुण-गाण ऒर उसकी सेवा में लगे
रहते हॆं,उनके लिए सितंबर का
महिना थोडा तनावपूर्ण जरुर हो जाता हॆ.सरकारी त्यॊहार हॆ,लोक-लाज बचाने के लिए कुछ तो करना ही पडेगा.’हिंदी-पखवाडे’ का बॆनर टांगना पडेगा.प्रतियोगितायें आयोजित करनी
पडेंगीं.प्रतियोगिता हेतु ,डरा-धमका-कर या मिलने वाले पुरस्कार की गारंटी देकर प्रतियोगी
इकट्ठे करने पडेंगें.आफिस का खोटा सिक्का(हिंदी में काम करने वाला कर्मचारी) इन
दिनों बडा काम आयेगा.अंग्रेजी में चिट्ठी न लिख पाने के कारण साल-भर, अफसर से डांट खाने वाला-’रामू’-इन दिनों ’रामलाल जी’ हो जायेगा.कोई बात नहीं! एक महिने का ही तो कष्ट हॆ-झेल
लेंगें बेचारें! उसके बाद,बाकी के ग्यारह महीने -’मॊजा ही मॊजा’.
सरकारी विभाग को राज-भाषा’हिंदी’ की चिंता हुई-तो थोडी खल-बली ’मिडिया’में भी होनी ही थी.इलॆक्ट्रानिक मिडिया में तो अभी हल-चल इतनी नहीं
हॆ,जितनी प्रिंट-मिडिया में
हॆ.दॆनिक अखबारों,पत्र-पत्रिकाओं
ने इन दिनों
’हिंदी’ को विशेष रुप से कवर
करना शुरु कर दिया हॆ.चलो! इस हल-चल से शायद ’हिंदी’ का कुछ
भला हो जाये-इसी उम्मीद से-हमने निर्णय किया हॆ कि इस महीने,हम भी अपनी आंखे खुली
रखेंगें ऒर अपनी सामर्थ्य के अनुसार दिन प्रति दिन ’हिंदी’से संबंधित हल-चलों की
खबर आपको देते रहेंगें. अभिव्यक्ति का नया माध्यम या कहे
लोकतंत्र का
पांचवां-स्तंभ-यानी ब्लागिंग भी राजभाषा’हिंदी’ को लेकर चिंतिंत हॆ.हमारे ब्लागर
साथी भी इस विषय पर अपने विचार-कविता,लेख,
कहानी इत्यादि के माध्यम से व्यक्त कर रहे
हॆं.हमारी कॊशिश होगी इस विषय से संबंधित उनकी रचनाओं से आपको भी अवगत करवाया
जाये.हम यहां स्पष्ट कर दें कि जो भी सामग्री इस ब्लाग पर प्रकाशित होगी-यह जरुरी
नहीं कि उससे हमारी सहमति ही हो.हमारा मकसद विषय से संबंधित सामग्री को एक मंच
प्रदान करना हॆ.आशा हॆ सभी ब्लागर-साथी,इस मंच के योगदानकर्ता व अनुसरणकर्ता-इस
काम में हमारा सहयोग देंगें.
’हिंदी-दिवस’
की शुभकामनाओं के साथ,
आपका साथी-
-विनोद पाराशर-
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