नया घर

12 सितंबर, 2010

हिंदी एक पुष्प

उत्तरप्रदेश के भोजीपुरा में जन्में तथा इस समय हॆदराबाद में एक सरकारी विभाग में सेवारत श्री सुनील कुमार की राजभाषा हिंदी को सपर्पित- पढिये यह कविता-
हिंदी एक पुष्प-श्री सुनील कुमार


 रंग बिरंगे फूल खिले है 
भाषा के इस उपवन में |
सबकी अपनी सुगंध बसी है
हर मानस के मन में |
मग़र इस उपवन की शोभा को
बस एक ही पुष्प बढ़ाता
नाम पड़ा है हिंदी जिसका
और जो सबको महकाता |
अपने रस की कुछ बूंदों को
जब इसने कविता में डाला
अमर हो गए कवि देश के
पन्त प्रसाद और निराला |
जिसके मन में बसी यह भाषा
या जो इसको अपनाता |
नहीं ज़रूरत किसी प्रमाण की
वह सच्चा देश भक्त कहलाता |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें