अंग्रेज चले गये ? –विनोद पाराशर
’अंग्रेज चले गये’
’अब हम आजाद हॆं’
-दादाजी ने कहा
-पिता ने भी कहा
- मां ने समझाया
- भाई ने फटकारा
लेकिन वह-
चुप रहा।
दादाजी ने-
घर पर/ दिन-भर
अंग्रेजी का अखबार पढा।
पिता ने-
दफ्तर में/चपरासी को
अंग्रेजी में फटकारा।
मां ने-
स्कूल में/भारत का इतिहास
अंग्रेजी में पढाया।
भाई ने-
खादी-भंडार के
उदघाटन-समारोह में
विलायती सूट पहनकर
खादी का महत्व समझाया।
ऒर-
उसने कहा-’थूं’
सब बकवास हॆ।
’अब हम आजाद हॆं’
-दादाजी ने कहा
-पिता ने भी कहा
- मां ने समझाया
- भाई ने फटकारा
लेकिन वह-
चुप रहा।
दादाजी ने-
घर पर/ दिन-भर
अंग्रेजी का अखबार पढा।
पिता ने-
दफ्तर में/चपरासी को
अंग्रेजी में फटकारा।
मां ने-
स्कूल में/भारत का इतिहास
अंग्रेजी में पढाया।
भाई ने-
खादी-भंडार के
उदघाटन-समारोह में
विलायती सूट पहनकर
खादी का महत्व समझाया।
ऒर-
उसने कहा-’थूं’
सब बकवास हॆ।
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जवाब देंहटाएंबेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई
ब्लाग जगत में आपका स्वागत है
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
ललित जी,
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद.ब्लाग4 वार्ता पर,चर्चा के लिस इस ब्लाग को भी चुना गया-मेरा प्रयास सार्थक हुआ.आप जॆसे मित्रों से इसी तरह के सहयोग की अपेक्षा हॆ.